अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day)
न्यूज़ पोर्टल इंडिया (ब्यूरो) 06-03-2025 | अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है। यह दिन महिलाओं के अधिकारों, समानता और उनके समाज में योगदान को सम्मान देने के लिए समर्पित है। 8 मार्च 1908 को न्यूयॉर्क शहर में 15,000 महिलाओं ने काम करने की बेहतर परिस्थितियों, कम काम के घंटे, और वोटिंग के अधिकार की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था। इसके बाद 1910 में डेनमार्क की समाजवादी नेता क्लारा ज़ेटकिन ने इस दिन को महिलाओं के सम्मान में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा।इसकी शुरुआत 1909 में हुई थी, लेकिन 1911 से इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली। International Women’s Day 2025
नारी केवल एक शब्द नहीं, बल्कि संपूर्ण सृष्टि का आधार है। वह जीवनदायिनी है, प्रेम की मूर्ति और रिश्ते संवारने वाली शक्ति है। भारतीय संस्कृति में नारी को शक्ति, ममता, और त्याग का स्वरूप माना गया है। हमारे शास्त्रों में कहा गया है |
‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः’

यानी जहां पर नारी का सम्मान होता है, वहां देवताओं का वास होता है। यह स्पष्ट करता है कि बहुत लंबे समय से नारी के महत्व को रेखांकित किया जाता रहा है। International Women’s Day 2025
महिला दिवस का उद्देश्य लैंगिक समानता को बढ़ावा देना, महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना और समाज में उनके योगदान को सराहना देना है। इस दिन विभिन्न कार्यक्रम, सेमिनार और रैलियों का आयोजन किया जाता है, जहाँ महिलाओं की उपलब्धियों को सम्मानित किया जाता है और उनके सशक्तिकरण पर चर्चा की जाती है।
महिलाएं आज हर क्षेत्र में अपनी सफलता का परचम लहरा रही हैं—चाहे वह शिक्षा हो, राजनीति, विज्ञान, खेल या व्यवसाय। फिर भी, समाज में लैंगिक असमानता, घरेलू हिंसा, वेतन में भेदभाव जैसी कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं, जिन्हें दूर करने की जरूरत है। International Women’s Day 2025
महिला दिवस हमें यह याद दिलाता है कि जब तक महिलाओं को समान अधिकार और अवसर नहीं मिलेंगे, तब तक समाज का समग्र विकास संभव नहीं है। हमें मिलकर एक ऐसा समाज बनाना चाहिए जहाँ हर महिला को सम्मान, स्वतंत्रता और समानता मिले।
आज की सफल महिलाएँ

कौन हैं कल्पना सरोज?
कल्पना सरोज एक व्यवसायी, उद्यमी और TEDx वक्ता हैं। वह मुंबई में कामानी ट्यूब्स की अध्यक्ष हैं। उन्होंने कामानी ट्यूब्स कंपनी की संकटग्रस्त संपत्ति खरीदी और कंपनी को सफलतापूर्वक मुनाफे में वापस लाया। International Women’s Day 2025
प्रारंभिक जीवन और संघर्ष
कल्पना का जन्म महाराष्ट्र के विदर्भ में एक दलित परिवार में हुआ था। वह गरीबी और सामाजिक भेदभाव के बीच पली-बढ़ी। उसके पिता एक कांस्टेबल थे, उन्होंने परिवार के भरण-पोषण के लिए हर संभव प्रयास किया। लेकिन पुलिस क्वार्टर में जीवन आरामदायक नहीं था। स्कूल में, कल्पना को जाति-आधारित भेदभाव का सामना करना पड़ा। शिक्षकों ने उसे अलग-थलग कर दिया, सहपाठियों ने उससे दूरी बनाए रखी और उनके माता-पिता ने किसी भी तरह की बातचीत को हतोत्साहित किया। इन प्रतिकूलताओं के बावजूद, वह एक होनहार छात्रा बनी रही और अपनी शिक्षा को संजोए रखा।
लेकिन सामाजिक मानदंड जल्दी ही हस्तक्षेप करने लगे। 12 साल की छोटी सी उम्र में, उसके माता-पिता ने उसकी शादी तय कर दी और उसे मुंबई में कठिनाइयों से भरे जीवन में धकेल दिया। कल्पना अपने पति के विस्तारित परिवार के साथ रहती थी। दस लोगों के घर के कामों को संभालते हुए उसे लगातार मौखिक और शारीरिक दुर्व्यवहार सहना पड़ा। वह कुपोषित और उदास हो गई, उसकी हालत और भी खराब हो गई। आखिरकार उसे उसके पिता ने बचाया, जो उसे वापस घर ले गए। हालाँकि, अपने गाँव लौटने पर उसके सामने नई चुनौतियाँ आईं। International Women’s Day 2025
जीवनयापन से सफलता तक
कल्पना मुंबई लौट आईं और अपना रास्ता खुद तय करने का निश्चय किया। उन्होंने एक सहायक दर्जी के रूप में एक कपड़ा कारखाने में काम करना शुरू किया। उनकी लगन और कड़ी मेहनत रंग लाई, क्योंकि उन्होंने जल्दी ही सिलाई में महारत हासिल कर ली और पदोन्नति हासिल की। सालों तक काम करने के बाद, उन्होंने कुछ रुपए बचाए और अपने परिवार के लिए एक कमरे का फ्लैट किराए पर लिया।
जब उनकी छोटी बहन बीमार पड़ गई और इलाज के लिए पैसे न मिलने के कारण उसकी मृत्यु हो गई, तो फिर से त्रासदी हुई। इस विनाशकारी नुकसान ने कल्पना के गरीबी के चक्र से बाहर निकलने के संकल्प को और मजबूत किया। उन्होंने सरकारी योजनाओं की खोज की और फर्नीचर का व्यवसाय शुरू करने के लिए ऋण प्राप्त किया, जिसमें उच्च-स्तरीय टुकड़ों के किफायती संस्करण तैयार किए गए। उन्होंने अपने सिलाई के काम को नए व्यवसाय के साथ संतुलित किया, उन्होंने 16 घंटे से अधिक काम किया। धीरे-धीरे लेकिन लगातार, उन्होंने अपनी उद्यमशीलता की महत्वाकांक्षाओं के लिए एक आधार तैयार किया।

कर्नल सपना राणा
कर्नल सपना राणाजो भारतीय सेना में बटालियन की कमान संभालने वाली हिमाचल प्रदेश की पहली महिला बन गई हैं। हालांकि, सपना के लिए ये सफर आसान बिल्कुल नहीं था। 1980 के दशक में सपना का जन्म हिमाचल के एक ऐसे गांव में हुआ, जहां समाज की बंदिशें अक्सर महिलाओं के कदम रोक लिया करती थीं। पशुओं को चराना, उनके लिए चारा काटना, भैंस का दूध निकालना और शाम ढलने पर घर के लिए खाना बनाना… उस गांव की महिलाओं के लिए बस यही जिंदगी थी। लेकिन इन्हीं चुनौतियों के बीच सपना ने अपने लिए रास्ता बनाया। उन्होंने वो सबकुछ किया, जो गांव की बाकी लड़कियां करती थीं, लेकिन कभी भी अपने लक्ष्य से समझौता नहीं किया। International Women’s Day 2025
2004 में बनीं सेना में लेफ्टिनेंट
हालांकि, सपना राणा ने कभी नहीं सोचा था कि वो भारतीय सेना में जाएंगी। इंटरमीडिएट के बाद सपना ने सोलन में सरकारी कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने एमबीए करने के लिए हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले लिया। सपना अब यूपीएससी की तैयारी शुरू करना चाहती थीं लेकिन बीच में ही उन्होंने जॉइंट डिफेंस सर्विस का एग्जाम दिया और 2003 में चेन्नई में ऑफिसर ट्रेनिंग एकेडमी में सेलेक्ट हो गईं। 2004 में सपना राणा को भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के तौर पर नियुक्ति मिल गई। फिलहाल सपना नॉर्थ-ईस्ट में आर्मी सर्विस कोर (एएससी) बटालियन की कमान संभाल रही हैं। वहीं, सपना राणा के पति भी भारतीय सेना में हैं और उनकी एक बेटी है।

वर्षा सोलंकी
हम कई प्रभावशाली लोगों और कंटेंट क्रिएटर्स से मिले हैं, जो गरीबी से अमीरी तक पहुंचे हैं और उनमें शामिल होने वाली नवीनतम हैं डांस और कॉमेडी कंटेंट क्रिएटर वर्षा सोलंकी, जो अब डांस दीवाने सीजन 4 की प्रतियोगियों में से एक हैं। डांस रियलिटी शो के नवीनतम एपिसोड में वर्षा ने अपने बचपन के बारे में बताया कि कैसे उनकी मां ने बर्तन धोकर और घर के काम करके उन्हें और बहन को पाला। International Women’s Day 2025
“बचपन से ही पूरे घर की जिम्मेदारी मेरे कंधों पर थी और मेरे पिता बहुत शराब पीते थे और वो घर की देखभाल नहीं करते थे। फिर जिम्मेदारी मेरी मां पर आ गई। मां ने लोगों के घरों में बर्तन धोकर हम दोनों बहनों को पाला। और फिर जब मां काम करने में सक्षम नहीं थीं, तो हम भी उनके साथ काम करने जाते थे और लोगों के घरों में बर्तन धोकर घर चलाते थे। ऐसा करते-करते मेरी शादी हो गई और फिर एक बहुत प्यारी सी बेटी पैदा हुई।
उन्होंने कहा, “मुझे बचपन से ही डांस का शौक था। जब मुझ पर ज़िम्मेदारियाँ आईं, तो मैंने सब कुछ छोड़ दिया। फिर नए-नए ऐप और प्लेटफ़ॉर्म आने लगे। फिर मुझे कलर्स से कॉल आया, मैं बहुत खुश थी कि मुझे ये अनोखा प्लेटफ़ॉर्म मिला। दरअसल, मैं छोटे-छोटे वीडियो बनाती हूँ, जिससे लोगों को हँसाया जा सके।”
नारा:“नारी शक्ति, देश की शक्ति!
International Women’s Day 2025