वृन्दावन की होली का पूरा कैलेंडर 2025वृन्दावन की होली का पूरा कैलेंडर 2025

क्यों मनाई जाती है होली? कौन सी होली का क्या महत्व है जाने कहानी – वृन्दावन की होली का पूरा कैलेंडर 2025

वृन्दावन की होली का पूरा कैलेंडर 2025

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वृन्दावन की होली का पूरा कैलेंडर 2025

न्यूज़ पोर्टल इंडिया (ब्यूरो) 07-03-2025 |  हवा में रंग और शरारत, मिठाइयों की खुशबू और एक-दूसरे को बधाई देते खुश रंग-बिरंगे चेहरे, हर कोई इस अद्भुत उत्सव का हिस्सा बनना चाहता है|जीवंत रंगों का त्योहार, चारों ओर खुशी और आनंद की वर्षा। यह भारत में वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है| वृन्दावन की होली का पूरा कैलेंडर 2025

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वृन्दावन की होली का पूरा कैलेंडर 2025क्यों मनाई जाती है होली?जानिए होली की सही तारीख और होलिका दहन की तारीख व शुभ मुहूर्त.बरसाना लड्डू होली श्रीजी मंदिर बरसाना 7 मार्च 2025, शुक्रवारबरसाना की लट्ठमार होली मुख्य होली बरसाना 8 मार्च 2025, शुक्रवारनंदगांव लट्ठमार होली नंद भवन 9 मार्च 2025, शुक्रवारबांके बिहारी मंदिर में वृन्दावन फूलवालों की होली 10 मार्च 2025, सोमवाररंगभरी एकादशी होली वृन्दावन 10 मार्च 2025, सोमवारभगवान कृष्ण के जन्मस्थान और संपूर्ण मथुरा में मथुरा होली विशेष कार्यक्रम 10 मार्च 2025, सोमवारगोकुल होली एवं रमण रेती भ्रमण गोकुल 11 मार्च 2025, मंगलवारहोलिका दहन द्वारकाधीश मंदिर डोला एवं मथुरा विश्राम घाट, बांके बिहारी वृन्दावन 13 मार्च 2025, गुरुवारधुलंडी होली द्वारकाधीश तेशु फूल या अबीर गुलाल और रंग बिरंगी पानी वाली होली बृज में 14 मार्च 2025, शुक्रवार

क्यों मनाई जाती है होली?

होलिका दहन और होली पर्व मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा है. इसके अनुसार, प्राचीन समय में असुर राजा हिरण्यकश्यप का बेटा प्रहलाद भगवान विष्णु का अनन्‍य भक्त था. यह बात हिरण्यकश्यप को पसंद नहीं था. तब उसने अपने बेटे प्रहलाद को मारने के लिए कई प्रयत्‍न किए लेकिन हर बार भगवान ने उसकी रक्षा की प्रहलाद का बाल भी बांका नहीं हुआ.

तब राजा हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से प्रहलाद को मारने के लिए उसे अग्नि में जलाने के लिए कहा. दरअसल, होलिका को ब्रह्मा जी का वरदान था कि आग उसे जला नहीं सकती. ऐसे में होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर लकड़ियों के ढेर पर बैठ गई, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से होलिका जल जाती है और प्रहलाद बच जाता है. तब से हर साल अधर्म पर धर्म की जीत के रूप में होलिका दहन किया जाता है| वृन्दावन की होली का पूरा कैलेंडर 2025

रंगों का त्‍योहार होली हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. पूर्णिमा की रात को होलिका दहन करते हैं और फिर उसके अगले दिन रंगों की होली खेली जाती है. तरह-तरह के पकवान खाए जाते हैं. इसे अधर्म पर धर्म की जीत के तौर पर मनाया जाता है. पिछले साल की तरह इस साल भी लोगों को होलिका दहन और होली खेलने की तारीख को लेकर कुछ कंफ्यूजन हो रहा है.

जानिए होली की सही तारीख और होलिका दहन की तारीख व शुभ मुहूर्त.

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि 13 मार्च, 2025 की सुबह 10:25 बजे से शुरू हो रही है और 14 मार्च, 2025 की दोपहर 12:23 बजे समाप्‍त हो रही है. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, होलिका दहन 13 मार्च को होगा. वहीं होलिका दहन के लिए शुभ मुहुर्त 13 मार्च की रात 11:26 बजे से लेकर रात 12:30 बजे तक रहेगा. यानी कि इस साल होलिका दहन के लिए देर रात 64 मिनट या करीब 1 घंटे का ही समय मिलेगा.

यह भगवान कृष्ण का पसंदीदा त्योहार है। तो श्री कृष्ण की भूमि से इस अद्भुत त्योहार की झलक पाने के लिए इससे बेहतर जगह और क्या हो सकती है? मथुरा भारत में एक ऐसी जगह है जहाँ होली बहुत जोश, मस्ती और उल्लास के साथ मनाई जाती है। यह एक महीने तक चलने वाला उत्सव है जो फरवरी में शुरू होता है और मार्च में भव्य मथुरा होली समारोह के साथ समाप्त होता है। यह गोकुल, वृंदावन, बरसाना, नंदगाँव से लेकर मथुरा तक पूरी बृज भूमि को कवर करता है। इन जगहों पर महीने भर चलने वाले कार्यक्रम आपको मंत्रमुग्ध कर देते हैं! बरसाना की लट्ठमार होली के बाद नंदगांव में होने वाली होली बहुत रोमांचक होती हैं! मथुरा से 40 किलोमीटर दूर फलेन गांव में ‘फालें की होली’ होती है, जहां एक पुजारी नंगे पैर और नंगे बदन आग के टीले से होकर गुजरता है! ऐसा कहा जाता है कि पुजारी के परिवार को एक संत द्वारा ‘प्रह्लाद’ की तरह आग से अप्रभावित रहने का आशीर्वाद दिया जाता है। यकीन मानिए, यह मन को झकझोर देने वाला कार्यक्रम आपके द्वारा देखे गए सभी रोमांच को पार कर जाएगा! अंत में, ‘दाऊजी हुरंगा’, जो भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलदेव के गांव में खेला जाता है जिन्हें ‘दाऊजी’ भी कहा जाता था। यह रंगों की बौछार में आपकी इंद्रियों को भिगोने वालात्योहार है! वृन्दावन की होली का पूरा कैलेंडर 2025

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बरसाना लड्डू होली श्रीजी मंदिर बरसाना 7 मार्च 2025, शुक्रवार

लड्डूमार होली के पीछे पौराणिक कहानी है, कहते हैं कि द्वापर युग में राधारानी के पिता के होली के न्योते का नंदबाबा ने स्वीकार किया था जिसके बाद नंदबाबा ने पुरोहितों के हाथों स्वीकृति पत्र भेजा था| इन पुरोहितों का स्वागत सत्कार करते वक्त लड्डू भी खाने को दिए गए थे, तभी बरसाना की गोपियां गुलाल लगाने लगी तो पुरोहितों ने उन पर लड्डूओं की बारिश कर दी लड्डू होली के मौके पर मंदिर में श्री राधारानी के सामने मंदिर के सभी मिलकर होली के बधाई गीत, समाज गायन करते हैं| इसी के साथ मंदिर में इतना गुलाल उड़ाया जाता है कि पूरा मंदिर परिसर गुलाल की खुशबू से भर जाता है| दूसरी तरफ मंदिर में लोग प्रसाद के लड्डू लूटने की मशक्क तभी करते रहते हैं इस होली में भक्तों को एक अलग ही आनंद की अनुभूति होती है| ऐसा अनोखा नजारा पूरे संसार में और कहीं नहीं देखने को मिलता है| वृन्दावन की होली का पूरा कैलेंडर 2025

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बरसाना की लट्ठमार होली मुख्य होली बरसाना 8 मार्च 2025, शुक्रवार

बरसाना में लट्ठमार होली पारंपरिक होली उत्सव का एक चंचल मोड़ है, जहाँ महिलाएँ पुरुषों को लाठियों से दौड़ाती हैं। यह जीवंत त्योहार भगवान कृष्ण और राधा रानी के बीच पौराणिक छेड़छाड़ का प्रतीक है। यह सड़कों को हँसी और रंग से जीवंत कर देता है।

नंदगांव के नज़दीकी गाँव से पुरुष बरसाना में केवल महिलाओं द्वारा खेल-खेल में पीटे जाने के लिए आते हैं। यह त्यौहार एक सप्ताह तक चलता है और जीवंत रंगों, संगीत और नृत्य से भरा होता है, जो इसे दिल से होली मनाने की चाह रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए एक ज़रूरी अनुभव बनाता है।

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नंदगांव लट्ठमार होली नंद भवन 9 मार्च 2025, शुक्रवार

नंदगांव में लट्ठमार होली एक चंचल उत्सव है जो भगवान कृष्ण और राधा के शुद्ध प्रेम की भावना को दर्शाता है। इस त्यौहार के दौरान, नंदगांव के पुरुष बरसाना की महिलाओं को मूर्खतापूर्ण गीतों से चिढ़ाते हैं और उन्हें लाठियों से भगा देते हैं। जो लोग पकड़े जाते हैं वे महिलाओं के कपड़े पहनकर सार्वजनिक रूप से नाचते हैं। प्यार, हंसी और रंग-बिरंगे गुलों और श्री कृष्ण और श्री राधे के जयकारों के साथ एक यादगार माहौल बनता है। इस दौरान, शानदार रंगीली महल को देखना न भूलें, जहाँ आप उत्सव के माहौल का आनंद ले सकते हैं। वृन्दावन की होली का पूरा कैलेंडर 2025

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बांके बिहारी मंदिर में वृन्दावन फूलवालों की होली 10 मार्च 2025, सोमवार

वृंदावन भारत के धार्मिक स्थलों में से एक है, और वृंदावन की होली एक जीवंत और आनंदमय उत्सव है जो हर साल हज़ारों भक्तों और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। वृंदावन में होली उत्सव की शुरुआत बांके बिहारी मंदिर में एक सप्ताह तक चलने वाले उत्सव से होती है, जहाँ भगवान कृष्ण की मूर्ति को पवित्रता के प्रतीक सफेद रंग से सजाया जाता है। भक्त खुशी-खुशी एक-दूसरे पर रंगीन पानी और ऑर्गेनिक गुलाल छिड़कते हैं, जबकि पुजारी ऊपर से फूल छिड़कते हैं, जिससे एक रंगीन नज़ारा बनता है। सबसे खास है फूलों की होली, जहाँ पारंपरिक रंगों की जगह फूलों की खुशबू बरसती है, जो कृष्ण और राधा की दिव्य प्रेम शैली को दर्शाती है। आप संगीत और नृत्य का भी आनंद लेंगे! वृन्दावन की होली का पूरा कैलेंडर 2025

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रंगभरी एकादशी होली वृन्दावन 10 मार्च 2025, सोमवार

वृंदावन में रंगभरी एकादशी पर बांके बिहारी मंदिर में फूलों की होली मनाई जाती है. इस दिन भक्तों पर फूलों की पंखुड़ियां बरसाई जाती हैं. रंगभरी एकादशी पर वृंदावन के पंचकोसीय परिक्रमा मार्ग पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है.|इस दिन परिक्रमा मार्ग में जमकर अबीर और गुलाल उड़ता है.इस दिन देश-विदेश से आए लाखों भक्त रंग-गुलाल उड़ाते हुए परिक्रमा लगाते हैं. रंगभरी एकादशी को आमलकी एकादशी भी कहा जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव माता गौरा को विवाह के बाद पहली बार काशी लाए थे. इस दिन भगवान शिव ने अपने गणों के साथ रंग-गुलाल उड़ाते हुए खुशियां मनाई थीं. यह पर्व खुशहाल जीवन के लिए बहुत ही शुभमाना जाता है| वृन्दावन की होली का पूरा कैलेंडर 2025

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भगवान कृष्ण के जन्मस्थान और संपूर्ण मथुरा में मथुरा होली विशेष कार्यक्रम 10 मार्च 2025, सोमवार

साल के हर महीने में घूमने के लिए भारत में सबसे अच्छी जगहों की तलाश करते समय, आप मथुरा को कैसे भूल सकते हैं? और मथुरा में होली महोत्सव एक सप्ताह तक चलने वाला उत्सव है जो विभिन्न कृष्ण मंदिरों में जीवंत रंगों और उत्सवों से भरा होता है। एक मुख्य आकर्षण गोवर्धन पहाड़ी के पास गुलाल कुंड है, जहाँ स्थानीय लोग कृष्ण लीला नाटकों को फिर से पेश करते हैं, जो होली के चंचल सार को जीवंत करते हैं। संगीत, रंगों और जीवंत माहौल के साथ, यह एक अविस्मरणीय अनुभव है जो होली के दिल को छू जाता है।

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गोकुल होली एवं रमण रेती भ्रमण गोकुल 11 मार्च 2025, मंगलवार

गोकुल के रमणरेती में हर साल होने वाली पारंपरिक होली का आयोजन इस बार भी बड़े स्तर पर किया गया. इस मौके पर बड़ी संख्या में कान्हा के भक्तों ने फूलों की होली के साथ-साथ टेसू के फूलों के रंग से भी होली खेली. इस दौरान भक्त कान्हा के जयकार लगाते हुए दिखाई दे रहे थे. गुरु शरणानंद जी महाराज का मथुरा में गोकुल के नजदीक ‘श्रीउदासीन कार्ष्णि आश्रम में संतों ने भगवान और भक्तों के साथ होली खेली. इस आश्रम में हर साल होली का आयोजन किया जाता है और इस दौरान यहाँ खेली जाने वाली फूल होली इस आयोजन की विशेषता होती है| वृन्दावन की होली का पूरा कैलेंडर 2025

इस साल भी रंग-बिरंगे फूलों की होली का आयोजन किया गया. इस बार की होली में सूखे फूलों के अलावा गुलाल और टेसू के फूलों से बने रंग का इस्तेमाल किया गया था जो काफी विशेष रहा. टेसू से बने इन प्राकृतिक रंगों की खासियत यह है कि इनसे शरीर को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता है. वार्षिकोत्सव में राधा-कृष्ण की रासलीला के समय हुए होली के रसिया गायन से यहाँ मौजूद भक्त पूरी तरह होली के रंग में रंगे नजर आये और पंडाल में बैठे-बैठे ही दोनों हाथों से ताली बजा कर होली के रसिया गीत गाने लगे. पूरे पंडाल का माहौल कृष्णमय हो गया. हर कोई राधा-कृष्ण के स्वरूपों के साथ होली खेलने के लिए आतुर दिखाई दे रहा था|

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होलिका दहन द्वारकाधीश मंदिर डोला एवं मथुरा विश्राम घाट, बांके बिहारी वृन्दावन 13 मार्च 2025, गुरुवार

सभी ये मौका पाकर खुद को बेहद आनंदित महसूस कर रहे थे. फूल होली से पहले यहाँ राधा-कृष्ण और सखियों की रासलीलाओं का मंचन किया गया. फूलों की इस खास होली में न केवल देश बल्कि विदेश से भी लोग पहुंचे थे. यहाँ पर होने वाली रास लीला में गाये जाने वाले होली के रसिया गीतो पर भी लोग नाचते-झूमते दिखाई दे रहे थे. बता दें कि इस होली में केवल आम लोग ही नहीं बल्कि साधू संत भी आनंद उठाने के लिए पहुंचते है और पिचकारियों से एक दूसरे पर खूब रंग डालते हुए होली खेलते हैं. गोकुल के रमणरेती आश्रम में हुई इस अलौकिक होली में संतों ने भक्तों और भगवान के साथ जमकर होली खेली. बता दें कि ब्रज में होली नहीं होरा मनाया जाता है| वृन्दावन की होली का पूरा कैलेंडर 2025

वृन्दावन  की होली का पूरा कैलेंडर 2025

धुलंडी होली द्वारकाधीश तेशु फूल या अबीर गुलाल और रंग बिरंगी पानी वाली होली बृज में 14 मार्च 2025, शुक्रवार

मथुरा से कुछ ही दूर बलदेव के दाऊजी मंदिर में हुरंगा उत्सव होली को एक नए स्तर पर ले जाता है। यहाँ महिलाएँ पुरुषों को लाठियों से पीटती हैं और उनकी कमीज़ें फाड़ देती हैं-यह सदियों पुरानी परंपरा भगवान बलराम, कृष्ण के बड़े भाई की चंचल भावना का जश्न मनाती है। मज़ेदार खेलों के बाद, सभी लोग एक दूसरे को रंगों से सराबोर करते हुए रंग-बिरंगी होली मनाते हैं। वृन्दावन की होली का पूरा कैलेंडर 2025

आइये जाने काशी में मणिकर्णिका घाट की मसान होली के बारे में

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