AI Bank Fraud 2023: क्या AI की वजह से आपके बैंक अकाउंट को खतरा हैं? जाने कैसे? Shocking😱 News

AI Bank Fraud 2023 : भारत में साइबर फ्रॉड के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इस रिपोर्ट में साइबर फ्रॉड के बढ़ते खतरे का विस्तार से जिक्र किया गया है।

एक यूजर्स को कितने scam मैसेज आते है?

इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर एक इंटरनेट यूज़र को रोजाना 12 फेक मैसेज मिलते है। स्कैम से जुड़े ये मैसेज यूजर्स को मेल टैक्स और सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म के जरिए मिलते हैं।

यूजर्स को किस – किस तरह के Scam मैसेज आते है?

यह ज्यादातर स्कैप मैसेज फेक जॉब नोटिफिकेशन से जुड़े होते हैं। इन्टरनेट यूजर्स को कई फेक बैंक अलर्ट मैसेज भी मिलते हैं।

AI Bank Fraud

AI Bank Fraud 2023 : कितने परसेंट यूजर्स स्कैम का शिकार होते हैं?

64 फीसदी यूजर्स जॉब स्कैम के चंगुल में फंसकर रह जाते हैं। वहीं 52% यूजर्स बाइक अलर्ट स्कैम के विक्टिम बने हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक इस तरह के स्कैम में फंसने वाले यूजर्स स्कैम मैसेज की पहचान करने में नाकाम रहे हैं। सर्वे में शामिल करीब 60 फीसदी भारतीयों ने माना कि स्कैम मैसेज की पहचान कर पाना मुश्किल होता है।

आखिर यह स्कैम मैसेज यूजर्स क्यों नही पहचान पाते है?

ऐसे मैसेज कुछ इस तरह से तैयार किए जाते हैं कि ये बैंक और कंपनियों के ऑफिसियल मैसेज ही लगते हैं। सर्वे में शामिल लोगों के मुताबिक पहले फेक और स्कैम से जुड़े मैसेज की पहचान टाइपो या किसी तरह के एरर के चलते करना आसान था। लेकिन आर्टिफिशियल टेक्नोलॉजी के बढ़ते इस्तेमाल के बाद से ही फेक मैसेज और ऑफ़िशियल मैसेज में अंतर करना मुश्किल हो गया है।

AI Bank Fraud

                       AI Bank Fraud 2023

एक केस स्टडी से सामने आया है कि एक ऐवरेज भारतीय को हर हफ्ते 105 मिनट केवल इसी तरह के मैसेज को रिव्यूः वेरिफाइ करने में लग जाता है कि यह मैसेज रियल है या फेक। दूसरी सिरदर्दी फ़ोन में मौजूद ऐप्स की वजह से भी हो रही है।

यह समस्या किन-किन ऐप्स के कारण हो रहा हैं?

ऐप्स को डेटा एक्सेस की परमिशन देकर लोग खुद ही अपनी निजी जानकारीयों को सार्वजनिक करने का खतरा मोल रहे हैं। एक स्टडी में दावा किया गया है कि फेसबुक और इंस्टाग्राम यूजर्स से सबसे ज्यादा डेटा ऐक्सेस के लिए परमिशन लिया जाता हैं। इस स्टडी में टॉप 100 ऐप्स को शामिल किया गया था जो की ऐप्पल ऐप स्टोर और गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद है।

Facebook, Instagram और social media स्कैम से रहे सावधान?

टीआरजी डेटा सेंटर्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यूजर्स के डेटा को

लेने में मेटा के ऐप्स फेसबुक, इंस्टाग्राम और मैसेंजर टॉप पर है। ये ऐप्स 14 टाइप की परमिशन लेते है जिसमें लोकेशन, ब्राउज़िंग, हिस्टरी और कॉन्टैक्ट जैसी परमिशन शामिल है। इसके बाद इस लिस्ट में लिंक्ड इन यूट्यूब और इंस्टा कार्ड जैसे ऐप्स के नाम है जो 12 तरह की परमिशन लेते हैं। IOS करीब 20 ऐप्स में से 11 अलग अलग तरह की परमिशन लेते हैं।

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टिक टॉक भी IOS पर 11 तरह का डेटा ऐक्सेस लेता है। वहीं अगर गूगल प्ले स्टोर की बात करें तो अकेले गूगल ऐप ही तेरह तरह की परमिशन लेता है। एक्स यानी ट्विटर भी ऐन्ड्रॉइड यूजर से 11 तरह की परमिशन लेता है जबकि आईफोन यूजर से ये सात परमिशन लेता है। गूगल प्ले स्टोर के ऐप्स औसतन 11 तरह की परमिशन लेते हैं।

यानी ऐप्स डाउनलोड करते वक्त यूजर्स को इन्हीं दी जा रही मंजूरियों को ध्यान से देखना चाहिए, जिससे वो जाने अनजाने अपनी निजी जानकारी किसी और के हवाले ना कर दें।

ब्यूरो रिपोर्ट newsportalindia.com

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