Hindenburg Vs Adani group :- मामले में आखिरकार सुनवाई आज पूरी हुई। सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई में क्या हुआ? सुप्रीम कोर्ट ने क्या अहम सवाल पूछे? से सेबी का क्या कहना है? जानें सबकुछ उस रिपोर्ट में वेलकम आप देख रहे हैं और मैं हूँ shuruti Singh द्वार। यानी 24 नवंबर को मामले में सुनवाई पूरी हुई। सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है और सभी पक्षों से सोमवार तक रिटर्न में यानी लिखित में जवाब मांगा है। सुनवाई के दौरान सेबी ने क्या कहा? पहले वो आपको बता देते हैं।
Hindenburg Vs Adani group मामले मे सेबी ने क्या कहा ?
सेबी ने कहा, 24 में से 22 मामलों की जांच पूरी हुई है और दो मामलों में विदेश से यानी ब्रॉड से फौरन से जानकारी नहीं मिली है और ये जांच कब तक पूरी होगी, इसकी से भी कोई समयसीमा नहीं बता सकती। अपनी हालांकि सभी ने और वक्त देने की मांग नहीं रखी। सुप्रीम कोर्ट के आगे इसके अलावा अब कवासी जुडिशियल के तहत कार्रवाई की शुरुआत करेगा। अब कवासी इन्स्टिट्यूशन इसका मतलब क्या है तो आपको पहले वो बता देते है।
कवासी ज्यूडिशियल एक ऐसा संगठन है जिसके पास कानून लागू करने वाले निकायों के समान शक्ति होती है। लेकिन ये न्यायालय नहीं होता है। ये निर्णय ले सकते हैं और दोषियों पर दंड पर दोषियों को पनिश कर सकते हैं, दंड तय कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, सेंट्रल इन्फॉर्मेशन कमिशन, नेशनल ह्यूमन राइट्स कमिशन ट्रिब्यूनल और ये सब जूडिशियल के अंदर आते हैं। अब पता है दोबारा से सुनवाई पर तो वर्क के मामलों में कंपनियों को शोकॉज भेजा गया।
Hindenburg Vs Adani group मामले मे सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा ?
कोर्ट ने से कुछ अहम सवाल भी पूछे। वो बताते है आपके मामले में बाजार में उतार चढ़ाव कैसे हुआ? कोर्ट ने यह पूछा सब इससे दूसरा सवाल था एक की क्या निवेशकों को हुए नुकसान की जांच की? क्या को शोर्ट सीलिंग का कुछ मामला मिला? इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, शोर्ट सर लिंक के मामले में ऐक्शन ले रहे हैं। याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने ऐसा ईट बनाने की भी मांग रखी। पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी पर भी आरोप लगाना बेहद आसान है और हमें इससे बचना चाहिए।
हम यहाँ किसी को कैरेक्टर सर्टिफिकेट नहीं दे रहे हैं और सेबी की जांच पर सवाल उठाने की कोई वजह नहीं है। सुनवाई के दौरान वरीष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट की एक्स्पर्ट कमिटी के सदस्यों पर भी सवाल उठाया। इसके जवाब में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा की Hindenburg Vs Adani group मामले मे अडानी ग्रुप के लिए कोई वकील 2006 में पेश हुआ और आप 2023 में उस पर आरोप लगा रहे हैं? ये अनुचित है।
CJI ने आगे कहा कि इस तरह तो किसी भी आरोपी के लिए पेश होने वाला वकील फिर कभी जज बन ही नहीं सकता। एक्स्पर्ट कमिटी की निष्पक्षता शक के दायरे से परे है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि रिपोर्ट को सही नहीं माना जाना चाहिए। रिपोर्ट की सत्यता का परीक्षण करने का कोई साधन अभी नहीं है। इसलिए उसने से मामले की जांच करने को कहा था तो सुप्रीम कोर्ट ने ये सारी बातें रखी।
बता दें कि जनवरी महीने में अमेरिका के शॉट्स एक रिपोर्ट में डाली। समूह पर कई गंभीर आरोप लगाए थे, 88 सवाल पूछे गए थे। इसके बाद अडानी समूह के शोरूम में भारी गिरावट आई और मार्केट कैपिटल करीब 150 बिलियन डॉलर कम हो गया। शेयर बाजार पर भी इसका असर पड़ा और निवेशकों को भारी भरकम नुकसान हो गया। ये मामला फिर कोर्ट पहुंचा और इस नुकसान के बाद सुप्रीम कोर्ट में अलग अलग कई याचिकाएं दायर की गई। इन याचिकाओं की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मार्च महीने में एक पैनल का गठन किया।
इसके साथ ही सेबी को मामले की जांच का आदेश दिया गया। सभी को दो महीने में जांच पूरी करनी थी, लेकिन डेडलाइन से पहले बाजार नियामक ने सुप्रीम कोर्ट से और समय मांग और समय की मांग कर दी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने तीन महीने का समय दिया की डेडलाइन फिर 14 अगस्त, फिर 29 ऑगस्ट, फिर ऑक्टोबर और ये। आखिरकार आज यानी 24 नवंबर को सुनवाई हुई। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है तो इस पूरी जानकारी पर आपकी क्या राय हैं?